desh bhakti poems in hindi for  independence and republic Day special


देशभक्ति कविता इस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष

desh bhakti poems in hindi 2020-देश भक्ति गीत कविता बच्चों के लिए देशभक्ति कविताओं का संग्रहदोस्तों आज हम आपके सामने पेश करने वाले हैं जिसे पढ़ने के बाद आपके अंदर राष्ट्रप्रेम की एक ऐसी भावना जागृत होगी जो आपको देश के लिए कुछ करने के लिये मजबूर कर देगी।


patriotic poems in hindi यह कविता कक्षा 1,कक्षा2, कक्षा 3, कक्षा4, कक्षा 5 ,कक्षा 6 ,कक्षा 7 ,कक्षा 8, कक्षा 9, कक्षा 10, कक्षा 11, कक्षा 12, के विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छी साबित होगी। और जिसे पढ़ने के बाद पढ़ने के बाद बच्चों के दिल में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होगी।देशभक्ति कविता
desh bhakti poems in hindi


देश भक्ति पर कविता hindi desh bhakti kavita कुछ इस प्रकार है जिसे पढ़ने के बाद बच्चों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होने के साथ-साथ वह राष्ट्रप्रेम की भावना को दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचा सकते हैं और patriotic poems in hindi के माध्यम से यह व्यक्त कर सकते हैं कि उनकी अंदर राष्ट्रप्रेम की कितनी भावना है

desh bhakti poems in hindi

desh bhakti kavita-देशभक्ति कविता


शीर्षक :- भारत की परंतत्रता से स्वतन्त्रता तक का इतिहास



आज हो गए देश को आजाद हुए पूरे 74 साल ।
इन लम्हो में कानून न बदला हालात सबकी है बेहाल ।
सैनिक सीमा पर लङ रहे समा रहे है काल के गाल ।
हो जाते वे कुर्बान देश पर नही वो करते तनिक मलाल ।
वे न होते अगर सीमा पर तो आम जन हो जाते हलाल ।
जो स्वतंत्रता पाए हों इसको तुम मत जाना भूल ।
इस हीरे को पाने के लिए उजङ गए कितने बगिया के फूल ।
फाँसी, बलिवेदी पर चढ़कर सहते रहे शूल पर शूल ।
उनको तुम मत जाना भूल ।
दास प्रथा जब थी देष में ।
कैसे फैली किस भेष में ।
पशुओ की तरह बेचा जाता मोल तराजू पर तौला जाता ।
उनको क्या मालूम था की क्या है आजादी ।
प्रतिदिन मिलती यह सजादी ।
याद करो उन हीरो को हीरा जिसने दिलाया ।
आंधी, तूफानो से लङकर उन्होने इसे संजोया ।
बात कर रहा उस हीरो की जिसने खेतो में बंदूक बोया ।
सुखदेव,भगत सिंह और राजगुरु की याद में मै तो खोया ।
कभी-कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है ।
जो आंखो में आंसुओ की बूंद बनकर निकल आता है ।
बहरो को सुनने के लिए ।
बम की आवश्यकता है पङता ।
केला काटने पर ही है फङता ।
लात के भूत बातो से नही मानता।
यही सब थी अंग्रेजो की धरता । desh bhakti poems in hindi
खूबसूरत हो कोई चीज तो उसे पाने के लोग तनिक नही करते फासला ।
आवश्यकता आविष्कार की जननी है लाला ।
भारत का परतंत्र होने में बढ़ावा देने का केवल एक कारण मसाला ।
जिसने सुरसा की भांति अपनी प्रचुरता का पूरा विश्व मेले डेरा डाला ।
वाह रे ! मसाला तुमने तो जादू कर डाला ।
जिसने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत कोई कंगाल और फटेहाल कर डाला ।
आते रहे विदेशी हौले-हौले ।
अंततः अंग्रेजो ने किया पग फेरा।
एक ही लालच उन्हे भारत खींच लाई ।
जो था मूलबिंदू मसाला ।
जिसका यूरोप का लिस्बन बना सबसे बड़ा आला ।
सुनते-सुनते होने जाओगे पागल।
लोग भारत के कालीकट केरल से सस्ते भाव मे खरीदते मसाला ।
और अपना यहा यूरोप में बढा चढाकर दाम लगाकर ।
मछलिया बाजार की तरह चिल्लाते ले मसाला -मसाला ।
और यही भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बदहाल कर डाला ।
गांधी जी की धोती बच गई ।
नही तो अंग्रेजो का क्या भरोसा ।
माल केरल चक्कर में उन्हे ही नंगा कर डाला ।
बंगाल से लगाई अंग्रेजो ने बांग ।
शनैः-शनैः लग गई सम्पूर्ण क्षेत्र में आग ।
माल कमाने केरल चक्कर में होती अफरा-तफरी भागमभाग ।
वेलेजली की सहायक संधि ।
डलहौजी की राज्य हङप नीति गंदी ।
जो पूरे देश में मचा गई गहमागहमी ।

desh bhakti kavita in hindi



प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति से शुरूआत करता हूं ।
गाय-सूअर चर्बी का इस्तेमाल होता कारतूसो में ।
सुना मंगल पांडे ने इस रहस्य को जब अंग्रेज जासूसो में ।
ह्यूरसन, बाथ को मार डाला ऐसा करने के विश्वासघात में ।
फांसी लगी कुर्बान हो गए।
मंगल पांडे को याद करेंगे स्वतंत्रता सेनानो में ।
पहली चिंगारी फैली थी यही पर ।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ।
पर ज्वाला पुरी भङक न सकी ।
बिजली एकता की पूरी कङक न सकी ।
आंधी पूरी चल न सकी ।
अतैव कारण फतह हाथ न लग सकी ।
कारण कुछ भारतीय अंग्रेज चाटुकारो ने चंद पैसो के लालच में ।
इसकी दिशाए मोङ दी सिराए तोङ दी ।
इसका रूख बदल डाला ।
केवल माला के चक्कर में देशद्रोहियो ने हलाला कर डाला ।
अपने ही देश को दूसरो के हाथो लूटा डाला ।
2 अक्टूबर 1869 को आई एक जोर की आंधी ।
अंग्रेजो की जो लेकर आया था बर्बादी ।
नाम महात्मा गांधी -मोहनदास करमचंद गांधी ।
पहनते थे कपड़े खादी ।
जो थे सादा जीवन उच्च विचारवादी ।
इनको भी आभास नही था क्या होती है गुलामी की वादी ।
पहनकर सूट-बूट पार्टियो मे जो करते थे इश्कजादी ।
अफ्रीका यात्रा का एक बहुत ही यादगार रोचकमय किस्सा है ।
लिए थे पहले बोगी की रसीद (टिकट) मालूम क्या था उनको ।
क्या है यहां पर छुआछूत की अश्वेत आंधी ।
डर्बन से प्रिटोरिया की यात्रा कर रहे थे गांधी ।
जब अंग्रेज टीटीई ने देखा की ।
यहां के पहले दर्जे के बोगी में ।
यात्रा कर रहा एक अश्वेतवादी ।
समय था रात्रि का कपकपाती गुलाबी ठण्डी ।
रेलगाड़ी को उस पुरा मिला था हरीश झण्डी ।
यह देख मैरिंसबर्ग अफ्रीका में गांधी जी को ट्रेन से बाहर फेंक दिए गोरे शैतान ।
हुआ जब गांधी जी के साथ यह हादसा ।
तो उनके अंदर जाग उठा तूफान।तभी झकझोरते हुए आई एक आंधी ।
अब जाकर अपने असली रूप मे आए महात्मा गांधी ।
जिन्होने अपने विचारो और क्रियाकलापो से अंग्रेजो की वाट लगा दी ।
अफ्रीका सविनय अवज्ञा आंदोलन से की शुरुआत ।
अब रूकने की कोई नही थी बात।
21 साल तक पुरा गांधी जी ने अफ्रीका मे बिताया ।
और बैरिस्टर की पढाई पुरी कर 1915 में लौटकर भारत आया ।
1917 चम्पारण 1920 असहयोग 1930 दाण्डी मार्च और 1942 में अंततः भारत छोङो आन्दोलन चलाकर ।
करो या मरो का नारा लगाकर ।
देश मेथी बेसुध पङे मुर्दो मेथी भी अपनी देश को आजाद कराने की श्वास भर दी ।

patriotic poems in hindi ।desh bhakti poems in hindi



अरे! याद करो चन्द्रशेखर आजाद को ।
उनके देशप्रेम और साजो साद को ।
याद करो बोस-घोष को ।
स्वतंत्रता के लिए उनके जोश-खरोश को ।
अरे! याद करो खुदीराम बोस को। ।
जो महज 13 साल की उम्र मे अंग्रेजो के हाथो फांसी चढ गए।
और देश की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गए और अपनी जान गवाया ।
देशप्रेम था उनके अंदर उन्होने लोहा मनवाया ।
याद करो बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को ।
जिन्होने छुआछूत और जात-पात के भेदभाव को मिटाया ।
राजा -रंक सभी के लिए एक- सा संवैधानिक कानून बनाया ।
पिछङो और दलितो को उनको उनका अधिकार दिलाया ।
वीर -सपूतो ने लहू बहाकर ।
स्वतंत्रता का चमन मे फूल खिलाया ।
15 अगस्त। 1947 का भारत के गौरव का वह दिन जब ।
खुले नभ में दिल्ली के लालकिले पर तिरंगा फहराया ।
गली-गली नगर-नगर खुशी और भारत माता की जय के हर्षनाद से पुरे देश मे खुशी का माहौल छाया ।
लोगो ने जन-गण-मन और वंदेमातरम् देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत गीतो को गुनगुनाया ।
और देश की आजादी में शहीद हुए शहीदो की शहादत और क्रांतिकारियो के याद में मौन व्रत रख आंखो से आंसू बहाया ।
याद करो पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को ।
जिन्होने कहा था मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी अंग्रेजो के कील में ताबूत साबित होगा ।
और उनके उस सिंहनाद को याद गर्व से सर उठाया ।
सभी देशभक्तो को गले से लगाया।
अंग्रेजो को धाकड़ वीर सपूतो ने सात समंदर पार भगाया ।
पर अंग्रेज तो चले गए पर उनके रहन-सहन और बोल-चाल का दाग यही पर रह गया ।
हिंदी भारतीयो कील प्रथम पहचान है ।
हिंदी राष्ट्र होकर भी भारत रफ्ता -रफ्ता लोगो केस द्वारा ।
अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व देकर ।
यहां प्रथम अपनी भाषा की खो रही पहचान ।
धीरे-धीरे जा रही है जान ।
यह है भारतीयो का अपमान ।
ट्रेन का नाम अंग्रेजी मे ।
दवा का नाम अंग्रेजी मे ।
सब नाम यहां अंग्रेजी मे ।
तो हिन्दी कहां गई सेती में ।
लुप्त हो जाएगी जिस दिन हिंदी भाषा ।
लोग भूल जाएंगे भारत में कोई हिंदी भाषा भी थी ।
भूल गए हिंदी -हिंदू -हिंदुस्तान का नारा देने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र के दोहे को ।
अंग्रेजी पढ़कर जदपि सब गुन होत प्रवीण ।
पै निज भाषा ज्ञान के रहत हीन के हीन ।
हो विवश कह ये दिया वयोवृद्ध दादासाहब नौरोजी ने ।
भारत वास्तव में भारत का भारत नही बल्कि ब्रिटिश का ही भारत था ।
करता हूं निवेदन आप सबसे गौरवमयी।
हिंदी भाषा, भारतीय संस्कृति, सभ्यता की इज्जत करना सीखो तो सही ।
आंच न आने दो अपने देश के मौलिक रीति-रिवाजो पर कहना है यही ।
अपना भारत न्यारा भारत ।
सब जगो से प्यारा भारत ।
अपनी है पहचान भारत ।

desh prem kavita-देशभक्ति कविता



महान दार्शनिक रूसो ने कहा था।
स्वतंत्र पैदा होता है मनुष्य ।
फिर भी अनेक बंधनो मे है जकङा ।
पैदा तो सभी साफ दिल के होते है ।
दुनियादारी ही सीखा देती है लोगो को मक्कारिया और झगड़ा ।
काम,क्रोध, मद,लोभ आलसहू ।
पराधीन सपनेहु सुख नाहू ।
बाहरी आजादी तो मिल गई।
आंतरिक आजादी कब पाओगे ।
इसको पाने के लिए कब तुम ।
अपने अंतरात्मा मे ज्योत जलाओगे ।
तन से तो आजाद हुए ।
पर मन से कब होगे ।
काम,क्रोध, मद,लोभ,आलस,डाह ।
आगे बढऩे नही देती यही चाह।
अंहकार की कब तक करोगे गुलामी ।
दूसरो के अधीन रहकर सपनो मे भी सुख नाहि ।
कह गए ये तुलसीदास गोस्वामी ।
जिस दिन तुम मन पर विजय प्राप्त कर लोगे ।
उस दिन समझो तुम आसमान छू लोगे ।
यह विजय वैज्ञानिको के चंद्रमा पर जाने से भी कही अधिक होगी ।
क्योकि आत्मा की आवाज हर कोई नही सुन पाता है ।
होगा जिस दिन यह सब । इन्हें भी पढ़ें desh bhakti poem in hindi on independence day
उस दिन तेरे अंदर ज्ञान की गंगा बहेगी ।
दुनिया तेरे यश का गुणानुनाद और बखान करेगी ।
आसफलता के आगे "आ"वर्ण लगा है अर्थ है जिसका आलस ।
विजय प्राप्त कर ली जिस दिन इसपर आगे बढऩे से कोई ताकत आपको न रोक सकेगी ।
जिस दिन तुम इन्द्रियो के बंधन से मुक्त हो जाओगे ।
उस दिन तुम माया-मोह आसफलता के क्रंदन से निकल पाओगे ।
मिटा दो वीरो तुम इस कुहरे को ।
तभी सूर्य सा चमक पाओगे ।
आप अपने दृढसंकलप को इतना दृढ कर दो की ।
कि सफलता पाने के सिवाय ।
आपको कुछ दिखे ही ना ।
जब तक आपके अंदर चाहत नही।
साहस नही तब तक चाहकर भी कोई कुछ कर सकता नही ।
आपके विचार, सोच, एहसास ।
ही बनाते है आपकी जिंदगी ।
मनुष्य आज जो कुछ भी है ।
वो है उसकी सोच की बंदगी ।
दरअसल दिमाग जो सोचता है ।
शरीर वही करता है दीवानगी ।
बदल देंगे जिस दिन अपनी सोच।
रत्नाकर से बाल्मीकि बनने मे देर नही लगेगी ।
रामबोला तुलसीदास और कालिदास जैसे संवरने में देर नही लगेगी ।
उस समय आईना वही रहता है ।
चेहरे बदल जाते है ।
आंखो मे रूकते नही तो आंसू निकल जाते है ।
अपने इन्द्रियो पर स्वतंत्रता प्राप्त करने की करो जिद ।
इन्ही सब पंक्तियो से समापन करता हूं अपने मंतव्य को ।
जय भारत -जय हिंद ।।

☆☆कवि :- देशप्रेमी Rj Anand Prajapati ☆☆
desh bhakti poems in hindi on independence and republic Day


तो दोस्तों अगर आपको ये कविताएं अच्छी लगी हो तो प्लीज इन्हे शेयर करें और कमेंट करें औरआप अगर class 1, class 2, cass 3, class 4 ,class 5 ,class 6 ,class 7 ,class 8, class 9, class 10, class 12 ,class 11,के विद्यार्थी है तो इन desh bhakti poems in hindi कविताओं को जरूर एक बार अपने कक्षा में कहें।

इन कविताओं को भी जरूर पढ़ें।

शीर्षक :- आधुनिकता से प्राचीनता की ओर

शीर्षक :- न मे हां

1 Comments

Post a Comment

Previous Post Next Post