Aadhuni hindi kavita

शीर्षक:- ●●तमन्ना●●

इंसान के अंदर गर जिंदा तमन्ना है।
तो वही हीरा और पन्ना है।
पतझड़ भी आता है ।
वृक्षो के जीवन में ।
नदियां भी सूखती है ।
उमस के तङपन में ।
पर आते ही बसंत ।
वृक्षो की हरीतिमा ।
बरसात होते नदी की उफनता ।
आशा से ही चलता है सब बावस्ता ।
छोङ आगे हम बढे विवशता ।
एकता मे है शक्ति सबको मालूम है ।
अकेले कोई भाङ न फोङता चना हैं ।
इंसान के अंदर गर जिंदा तमन्ना  है ।
तो वही हीरा और पन्ना हैं  ।
चोट भी लगती है ।
तन पर तो क्या ।
दर्द भी बहुत कुछ सीखाता है ।
दर्द से है जो निकलता ।
मर्द  (वीर,साहसी) वही कहलाता है ।
शेरशाह सूरी के जैसे वो ।
जंग हार के भी जीत जाता है ।
आशा की किरण जिसके अंदर मरी ।
समझो सारी खुशियां अब उसकी फना है ।
इंसान के अंदर गर जिंदा तमन्ना है।
तो वही हीरा और पन्ना हैं ।
इस मतलब की दुनिया मे ।
मतलब से सब हैं  ।
बिना मतलब के रखता न मतलब कोई ।
चाहत की राहत हैं सबको तो खींचे ।
फसल की उर्वरा के लिए सब उसको हैं सीचे ।
कौतूहल को देख ।
कौन है जो आंख न मीजे ।
दुनिया के मोह-माया के ।
कुचक्र से कौन है जो न सना है ।
इंसान के अंदर गर जिंदा तमन्ना
हैं ।
तो वही हीरा और पन्ना हैं ।

कवि:- Rj Anand Prajapati

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